BHU Controversy: जिस टीचर के पास उसके विषय का ज्ञान का भंडार हो उसे रूढ़िवादी सोच का ऐसा सामना करना पड़ रहा है, पिता ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा इससे बढ़िया तो बेटा मुर्गे बेचने वाली दुकान चलाता तो ठीक था.
देश की मूल विचारधारा के विपरीत प्रदर्शन कर रहे काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों को एक मुस्लिम टीचर से संस्कृत पढना गवारा नहीं. कहा तो जाता है, मजहब नहीं सिखाता हमें आपस में बैर रखना लेकिन देश की सम्मानित व बड़ी यूनिवर्सिटी के छात्रों ने क्या सीखा यह अफसोस की बात है.
आपको बता दें संस्कृत में पीएचडी व बीएड करने वाले फिरोज खान (Firoz Khan) आज जब बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में संस्कृत पढ़ाने के लिए नियुक्त हुए तो यूनिवर्सिटी के छात्रों ने उनसे पढ़ने से इंकार कर दिया.
फिरोज खान ही नहीं उनके पिता रमजान खान (Ramzan Khan) भी संस्कृत में डिग्री होल्डर हैं, हाल ही में 18 नवंबर को फिरोज खान के अगेंस्ट प्रोटेस्ट करते हुए हवन और बुद्धिशुद्धि यज्ञ करवाया गया, गैर हिंदू संस्कृत प्रोफेसर से शिक्षा लेना बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के छात्रों को मंजूर नहीं हो पाया.
कौन हैं प्रोफेसर फिरोज खान?
फिरोज खान के पिता रमजान खान भी संस्कृत के प्रचंड विद्वान हैं, जयपुर के बागरू से ताल्लुक रखने वाले फिरोज का दावा है उन्हें संस्कृत का जितना उन्हें ज्ञान है उसके सामने उन्हें कुरान का कुछ भी ज्ञान नहीं, बचपन कक्षा 2 से वह संस्कृत पढ़ रहे हैं. आज तक उनके संस्कृत सीखने व पढ़ाने पर किसी ने ऐतराज नहीं जताया.
क्या कहना है BHU स्टूडेंट्स का
प्रोटेस्ट के दौरान BHU के स्टूडेंट्स ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जो व्यक्ति उनकी भाषा व धर्म से जुड़ा नहीं है लेकिन इसका ज्ञान दे रहा है, उससे ज्ञान कैसे लिया जाए.