Yuvraj Singh Retires: युवराज सिंह जैसे जबरदस्त ऑलराउंडर की तुलना किसी और से नहीं की जा सकती है, ऑन फील्ड ही नहीं ऑफ फील्ड भी इस क्रिकेटर की कहानी प्रेणादायक है, भारतीय क्रिकेट का इतिहास उनकी बड़ी परियों का गवाह है.
12 दिसम्बर 1981 के जन्मे युवराज सिंह ने साल 2000 में पूर्व कप्तान सौरव गांगुली के आगुवाई में टीम इंडिया का पहली बार प्रतिनिधित्व किया था, आज 10 जून 2019 को उन्होंने साउथ मुंबई होटल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान नम आखों से क्रिकेट को अलविदा कह दिया.
37 साल के इस महान शख्सियत ने न सिर्फ क्रिकेट फैन्स को बल्कि सभी को जिंदगी में कभी हार न मानने की ओर प्रेरित किया. जानलेवा बीमारी को मात देकर वह वापस तो आए ही साथ ही अच्छी क्रिकेट भी खेली, पिछले कुछ सालों से वह खराब फॉर्म से गुजर रहे थे.
आज रिटायरमेंट के वक्त युवी भावुक हो गए और बोले “22 गज की दूरी पर 25 साल, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट लगभग 17 साल में उन्होंने बहुत उतार चढ़ाव देखे, अब इससे आगे बढ़ने का फैसला किया है. इस खेल ने मुझे सिखाया है कि कैसे लड़ना है, गिरने के बाद कैसे धूल झाड़ के फिर उठना है और आगे बढ़ना है“.
Yuvraj Singh: After 25 years in and around the 22 yards and almost 17 years of international cricket on and off, I have decided to move on. This game taught me how to fight, how to fall, to dust off, to get up again and move forward pic.twitter.com/NI2hO08NfM
— ANI (@ANI) June 10, 2019
युवराज ने देश के लिए 304 वनडे मैच (8701 रन, ), 40 टेस्ट (1900 रन) और 58 टी20 मैच (1177) खेले. बाएं हाथ के विस्फोटक बल्लेबाज युवराज सिंह गेंदबाजी में भी माहिर थे उन्होंने 111 विकेट वनडे में, टेस्ट में 9 और T20 में 28 विकेट चटकाए थे.
विश्वकप 2011 के दौरान उन्होंने टीम के लिए बैक टू बैक जिताऊ पारीयां खेली, एक ऑलराउंडर के तौर पर उनका प्रदर्शन रिकॉर्ड है. आयरलैंड के खिलाफ एक मैच में उन्होंने 5 विकेट के साथ 50 रन का स्कोर भी किया था.
वह विश्वकप के इतिहास में मात्र एक ऐसे प्लेयर हैं जिन्होंने 300 प्लस (362 रन) बनाकर 15 विकेट लिए. उन्हें मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब मिला और 4 बार मैन ऑफ द मैच रहे थे.
इस बड़े टूर्नामेंट के दौरान ही उन्हें कैंसर की शिकायत हो गयी थी. वर्ल्डकप 2011 के इस हीरो को बाएं लंग में ट्यूमर हो गया था, मार्च 2012 में इलाज के बाद वह इंडिया लौटे और क्रिकेट के मैदान के लिए फिर से हुंकार भर दी थी.
