एशियाई खेलों का समापन हो चुका है लेकिन अभी भी ये खेल भारतीय खेल प्रेमियों के दिल और दिमाग से निकल नहीं पा रहे है। क्योंकि इस बार इस खेल में भारतीय खिलाड़ियों ने अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन क़िया। भले ही इस बार कबड्डी में भारत गोल्ड नहीं जीत पाया हो लेकिन इस बार ऐसे खिलाडियों ने भारत को गोल्ड जिताए, जिनसे शायद ही किसी ने उम्मीद की होगी। आइए नज़र डालते है ऐसे खिलाड़ियों पर:
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मंजीत सिंह (800 मीटर)
मंजीत सिंह की 800 मीटर की दौड़ तो आपको याद ही होगी। 800 मीटर की इस रेस में मंजीत आखिरी 100 मीटर तक गोल्ड के दावेदार नहीं थे लेकिन इसके बाद मंजीत ने सभी को चौकांते हुए आखिरी कुछ सेकंड में गोल्ड पर कब्ज़ा जमाया।
प्रणब बर्धन और शिबनाथ (ब्रिज)
ब्रिज को पहली बार एशियाई खेलों में शामिल किया गया। पहली ही बार में भारत ने इस खेल को अपने नाम कर लिया। भारत के प्रणब बर्धन और शिबनाथ सरकार की जोड़ी ने मेन्स पेयर में गोल्ड मेडल जीता। बता दें कि प्रणब ने ये मैडल 60 साल की उम्र में जीता है।
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तेजिंदर पाल (शॉटपुट)
तेजिंदर पाल का मुकाबला भी लंबे समय तक याद किया जाएगा। तेजिंदर ने हर राउंड में खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ा। तेजिंदर पाल सिंह ने 20.75 मीटर गोला फेंककर स्वर्ण पदक जीतने के साथ एशियाई खेलों का रिकॉर्ड भी बनाया।
स्वप्ना बर्मन (हेप्टाथलॉन)
स्वप्ना के दोनों पैरों में 6-6 उंगलियां थी जिसके चलते उन्हें स्पर्धा पूरी करने में काफी दिक्कत हुई होगी। उनका यह तीसरा अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल है। इसके बावजूद एशियाड में खेल विशेषज्ञ उनसे पदक की उम्मीद नहीं कर रहे थे।
सौरभ चौधरी (निशानेबाजी)
सौरभ चौधरी एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय निशानेबाज हैं। वे 10 मीटर एयर पिस्टल में गोल्ड जीतने वाले भारत के पहले शूटर है। फाइनल में उन्होंने दो बार के ओलिंपियन और वर्ल्ड चैम्पियन जापान के तोमोयुकी मतसुदा को हराया।
