Sardar Patel Jayanti: 31 अक्टूबर 1875 को जन्मे सरदार वल्लभभाई पटेल को भारतीय राजनीति का मजबूत स्तंभ कहा जाता है.
साल 2018 में मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने उनकी अविश्वसनीय प्रतिमा (Statue of Unity) उन्हें 143वें जन्मदिवस (31 अक्टूबर 2018) पर ट्रिब्यूट की थी, इस अनूठी मूर्ति के बारे में जानकर हर किसी के जहन में सरदार पटेल के बारे में भी जानने की इच्छा होती है.
उनका वास्तविक नाम वल्लभभाई पटेल है, सरदार की उपाधि भी उन्हें उनके बेमिसाल व्यतित्व के लिए मिली है जिसका जिक्र आगे किया गया है. उनका जन्म गुजरात के नाडियाड में हुआ था, पिता लेवा पट्टीदार जमींदार झवेरभाई पटेल व माता लाड़बाई के वह चौथी संतान थे.
बचपन से ही उन्हें अध्ययन का बहुत शौक था, करमसद में प्राथमिक विद्यालय और पेटलाद में उच्च विद्यालय से उन्होंने शुरुवाती शिक्षा ग्रहण की, मात्र सोलह वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया था.
सेल्फ स्टडी से ही उन्होंने खुद को बहुत तराशा और 22 वर्ष की आयु में मेट्रिक तक की शिक्षा ग्रहण की. पत्नी झावेरबा पटेल का 1909 में देहांत हो गया था, विषम हालातों से लड़ते हुए उन्होंने कभी पीछे नहीं देखा, 15 सितम्बर 1950 के दिन मुंबई में हार्ट अटैक की वजह से उनका देहांत हो गया था.
जानिए क्यों नहीं बन पाए देश के पहले प्रधानमंत्री?
आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार थे सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) लेकिन ऐसा नेहरु और महात्मा गांधी की नीतियों की वजह से संभव नहीं हो पाया था.
उस समय देश के 15 राज्यों में से 12 राज्यों से सबसे काबिल नेता सरदार पटेल को पूरा समर्थन था लेकिन अकेले गांधी जी का समर्थन नेहरु को देखकर वल्लभभाई पटेल ने अपने आदर्श राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के लिए अपना नामांकन वापस ले लिया. इस तरह वे देश के पहले प्रधानमंत्री तो नहीं लेकिन पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बने.
किसने दी वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि?
सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश के कई आन्दोलनों का नेतृत्व किया, ऐसे ही गुजरात में हुए 1928 में बड़ा किसान आन्दोलन बारदोली सत्याग्रह में हिस्सा लेने वाली महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि दी थी, जो उनके व्यक्तित्व से न्याय कर रहा था और उन्हें सरदार वल्लभभाई पटेल कहने लगे.