जमीन घोटाले को लेकर एक बार फिर हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कड़ा रुख अपना लिया है। इसी के साथ इस मामले में दोषी पाए गए सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ती दिखाई दे रही है। गुडगांव के जमीन सौदे को लेकर रॉबर्ट वाड्रा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है। साथ ही मनोहर लाल खट्टर ने मीडिया के सामने इस मामले पर ज्लद कार्यवाई करने का भरोसा भी दिया है।
मुख्यमंत्री खट्टर ने रविवार को कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी है। जिन लोगों को दोषी पाया जाएगा, उन्हें सजा मिलेगी। इस मामले में अलग-अलग एजेंसिया जांच कर रही हैं और कानून अपना काम करेगा। जाहिर सी बात है कि खट्टर सरकार ये ये कड़ा रुख वाड्रा के लिए काफी बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। जमीन सौदा मामले में दर्ज एफआईआर में वाड्रा और हुड्डा के अलावा डीएलएफ कंपनी गुरुग्राम और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज जैसी बड़ी रीयल इस्टेट कंपनियों का नाम शामिल है।
वहीं अचानक कार्यवाही के तेज होने के बाद रॉबर्ट वाड्रा ने भी खट्टर सरकार पर आरोप लगाया है। वाड्रा का कहना है कि “चुनावी मौसम है, तेल के दाम बढ़ गए है, इसलिए जनता का ध्यान अहम मुद्दों से भटकाने के लिए मेरे एक दशक पुराने मुद्दे को उछाला गया है। इसमें नया क्या है?” रॉबर्ट वाड्रा और अन्य पर यह एफआइआर भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 120B, 467, 468 और 471 के तहत दर्ज की गई है। एफआइआर सुरेंद्र शर्मा नाम के शख्स ने दर्ज करवाई है।
यह मामला 10 साल पहले वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट लिमिटेड के द्वारा रीयल एस्टेट कंपनियों को जमीन और प्रोजेक्ट के लिए लाइसेंस मुहैया कराने से जुड़ा है। इस सौदे में वाड्रा पर अवैध तरीके से 50 करोड़ रुपए का फायदा उठाने का आरोप है। इसके अलावा इस एफआईआर में सबसे बड़ी बात ये रही कि शिकायत में कहा गया है कि रॉबर्ट वाड्रा सोनिया गांधी के दामाद हैं और जिस वक्त यह घोटाला हुआ उस वक्त भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी और हुड्डा पर वाड्रा का निजी प्रभाव था।