Teera Kamat: मुंबई की मासूम तीरा कामत के लिए पूरा देश एक हो चुका है, यही इस देश की खूबसूरती है. न सिर्फ क्राउडफंडिंग के द्वारा बल्कि दुआवों का सिलसिला भी जारी है, अब इंतजार है बस 5 महीने की मासूम को इंजेक्शन लगने का.
अमेरिका से आ रहे इस इंजेक्शन की कीमत भारत पहुंचते पहुंचते 22 करोड़ जा रही थी लेकिन पीएम मोदी (PM Modi) की दरियादिली ने इसे 16 करोड़ तक सिमित रहने दिया है, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की चिट्ठी से प्रधानमंत्री को ज्ञात हुआ कि करोड़ों के इंजेक्शन पर करोड़ों का ही टैक्स भी है जिसे उन्होंने पूरी तरह माफ करने का फैसला किया.
अगस्त 2020 में जन्मी तीरा कामत
तीरा के माता पिता एमएनसी में जॉब करते हैं लेकिन वे इतने सक्षम नहीं कि 22 करोड़ के इंजेक्शन का खर्चा उठा पाते. 14 अगस्त 2020 को जन्मी तीरा कामत (Teera Kamat) किसी सामान्य बच्चे की तरह थी, कुछ दिन बाद पता चला कि उसे मां का दूध पीने में तकलीफ हो रही है, सांस लेने दिक्कत महसूस हो रही है, हॉस्पिटल ले जाया गया तो पता चला मासूम को बेहद गंभीर बीमारी है जिसके इलाज में कम से कम 22 करोड़ का खर्चा आएगा.
क्राउडफंडिंग से कलेक्ट हो चुका है इंजेक्शन का पूरा खर्चा
आज के इंटरनेट दौर की एक खूबसूरती यह भी है कि सही तरीके से संदेश पहुंचाया जाए तो लोग कनेक्ट होने में देरी नहीं करते हैं, 5 महीने की मासूम के लिए इतने कम समय में लोगों की मदद से 16 करोड़ की रकम जुट भी चुकी है, 6 करोड़ का कर भारत सरकार द्वारा माफ किया जा रहा है, ऐसे में यह गंभीर बीमारी का इलाज आसान हो गया है.
स्पाइनल मस्कुलर एस्ट्रोफिज (SMA) नाम की है बीमारी
जन्म के दो हफ्तों बाद देखा गया कि बच्ची दूध पीते वक्त बेहद बेचैन हो जाती है, इस बीमारी में इंसान के अंदर प्रोटीन बनाने वाले जीन खत्म हो जाते हैं, शरीर लचीला हो जाता है, खाने निगलने में कठिनाई, सांस लेने में तकलीफ के अलावा पांव बेजान हो जाते हैं. इलाज न मिलने पर पीड़ित का जिंदा रहना मुश्किल हो जाता है. इसके कई प्रकार होते हैं, तीरा को टाइप 1 है जो घातक है.
जोल्गेन्स्मा (Zolgensma) नामक इंजेक्शन से बढ़ेगी जीने की उम्मीद
मुंबई के SRCC चिल्ड्रन हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही मासूम को बहुत जल्द जोल्गेन्स्मा (Zolgensma) नाम का इंजेक्शन लगाया जाएगा, जो तीरा के शरीर में प्रोटीन बनाने वाले जीन का निर्माण करेगा, यह बीमारी गंभीर होने के साथ-साथ बहुत रेयर भी है. आम परिवार के लिए इसका इलाज लगभग नामुमकिन ही था.