Shabnam Hanging: दिल्ली का निर्भया रेप एंड हत्याकांड क्रूरता की हदों में से एक था लेकिन दोषियों के वकील एपी सिंह ने उन्हें फांसी के तख्ते से बचाने के लिए हर दाव लड़ा और अंत में नाकामयाब रहे, पिछले साल के मार्च में चार दोषियों को फांसी दी गई थी.
दोषियों को फांसी से बचाने के लिए फिर एक बार एपी सिंह मैदान में उतर आए हैं, इसके पीछे उनका मकसद है कि फांसी प्रथा को ही समाप्त कर देना चाहिए, जेलों को सुधार गृह बनाया जाए न कि फांसी घर. बता दें अमरोहा नरसंहार 2008, का दोषी कोई और नहीं बल्कि घर की ही बेटी शबनम है, शबनम व उसके प्रेमी सलीम ने परिवार के 7 लोगों को बड़ी साजिश के तहत मौत के घाट उतार दिया था.
एक तरफ शबनम के गांव वाले तक चाहते हैं कि ऐसी बेटी को जल्द से जल्द फांसी के तख्ते पर लटकाया जाए, शबनम के नाम से बावनखेड़ी गांववासियों को नफरत सी हो गई है, गांव वालों का कहना है शबनम के करतूत का खुलासा होने के बाद किसी ने अपनी बेटी का नाम शबनम नहीं रखा.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शबनम की दया याचिका खारिज हो चुकी है, फांसी की लगभग पूरी तैयारी है. वहीं सलीम की कुछ याचिकाएं लंबित होने की वजह से फांसी की डेट मुकर्रर नहीं हो पा रही है. निचले से सुप्रीम कोर्ट तक शबनम -सलीम की फांसी पर मुहर लगा चुके हैं, जल्लाद द्वारा भी मथुरा की जेल का निरिक्षण हो चुका है.
एपी सिंह की बात करें तो वह चाहते हैं किसी भी मुजरिम को फांसी नहीं होनी चाहिए, इंसान को सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए, जेलों की सुधार गृह के तौर पर लिया जाना चाहिए, साथ ही वह मानते हैं देश में सिर्फ मध्यम वर्गीय को ही फांसी हुई है. देशवासियों से उनकी अपील है कि फांसी प्रथा को समाप्त करने के लिए सरकार से आग्रह किया जाना चाहिए.