Seema Dhaka’s Novel Work: मात्र ढाई तीन महीनों के अंदर 76 केस सोल्व करने वाली दिल्ली के हेड कांस्टेबल सीमा ढाका ने साबित कर दिया है कि पुलिस डिपार्टमेंट में अपने फर्ज को लेकर मर मिटने वालों को कोई ताकत नहीं रोक सकती है, हालांकि देश की पुलिस बदनाम भी बहुत है लेकिन ऐसे नेक काम वाले पुलिसकर्मी एक सच्ची आश हैं.
बड़ी आबादी वाले इस देश में क्राइम रेट बढ़ जरुर रहा है लेकिन अपनी ड्यूटी को जी व जान से निभाने वालों की भी कमी नहीं है, इस बीच दिल्ली से सीमा ढाका (Seema Dhaka) ने देश में एक ऐसे उम्मीद को कायम किया है जिसे जानकार खाकी वर्दी पर गौरवान्वित होने का मन करता है. दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने अपने अनुभव साझा किए थे.
सीमा का सबसे बड़ा मोटिवेशन
सीमा कहती हैं हर मां की खुशी उनके लिए सबसे बड़ा मोटिवेशन है, जाहिर सी बात है एक मां जिस बच्चे को पहले 9 महीने कोख में रखकर तपस्या करती है और फिर उसे खुद से भी ज्यादा प्यार कर पालती है, अगर उसको कोई उसका बिछड़ा हुआ बच्चा लौटा दे उसके लिए इससे बड़ी खुशी क्या हो सकती है.
उत्तर प्रदेश की मनीषा की कहानी की बयां
उत्तर प्रदेश के तिगरी के किसी गांव में एक महिला जो गोद में दो बच्चे लिए है, घर के बाहर पुलिस पहुंची तो सीधा रोने लगी, वे आंसू पुलिस पर गहरी उम्मीद की नजर से देख रहे थे, तभी मनीषा ने सीमा की पुलिस टीम को आग्रह किया कि उसे यहां से ले चलिए, उसे तुरंत रेस्क्यू किया गया और दिल्ली ले जाया गया.
मनीषा, सीमा ढाका (Seema Dhaka) को बताती हैं कि साल 2015 में कोई औरत उसे बहला फुसला कर अपने साथ ले गई और अपने देवर से शादी करवा ली जबकि उस वक्त उसकी उम्र मात्र 15 साल की थी.
मजदूर पिता ने आंठवी कक्षा में पढ़ने वाली बेटी की FIR दर्ज तो की थी लेकिन जिस तरह हर डिपार्टमेंट में केस को सीरियसली नहीं लिया जाता यह केस भी पुलिस की निगाह से हट पड़ा और मनीषा की तलाश बंद हो गई लेकिन सीमा तो 2020 में इसी मिशन में थी उनके हाथ मनीषा की गुमशुदगी वाली FIR हाथ लग गई.
जैसे ही FIR पढ़ी मनीषा की परिवार वालों की खोजबीन शुरू कर दी, भारी मशक्कत के बाद मनीषा के पिता हाथ लगे जो पेंटर का काम कर रहे थे, उनसे बातचीत हुई तो उनके भी उम्मीद के आंसू छलक पड़े और कहने लगे कि मेहनत मजदूरी कर एहसान उतार दूंगा बस बेटी को ढूंड ला दो. मनीषा तक सीमा उस फोन नंबर को ट्रेस कर पहुंची जिससे उसने कॉल किया था.
इसी तरह कई केस हैं जिनमें बच्चे मौका मिलने पर अपने घर वालों को फोन करते हैं और इसकी छानबीन से सीमा को कामयाबी मिलती है, हालांकि बहुत से केस पेचीदा होते हैं. 76 बच्चों में से 56 की उम्र 14 साल से कम है, इस बहादुरी व नेकी के लिए दिल्ली पुलिस कमिश्नर द्वारा आउट ऑफ टर्न प्रमोशन (OTP) से हौंसला बढ़ाया है.

लोग कर रहे हैं सलाम:
👉Meet Delhi Police head constable Seema Dhaka
👉She was given a 'target' to trace 50 children in 12 months
👉But she managed to find 76 missing children in just 2.5 months from Delhi, UP & Punjab
👉As her reward, she has been granted
‘Out-of-Turn Promotion’ pic.twitter.com/bqyFvwJs6O
— Saahil Murli Menghani (@saahilmenghani) November 18, 2020
👏👏👏👏. So proud of you #SeemaDhaka ji! I am a mother & I can understand the joy it will be for the mother to meet her child https://t.co/iy0NipjIMx
— Dr. Shama Mohamed (@drshamamohd) November 19, 2020