Farm Laws stay from SC: किसानों ने देश की राजधानी की सीमाओं पर पूरे छः महीने की तैयारी के साथ कदम रखा था लेकिन अब जब नए कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लग गई है तो सवाल उठ रहा है क्या किसान वापस घरों की तरफ लौट जाएंगे.
शायद ही किसान अब भी मानने को तैयार हों क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई कमेटी पर किसानों को भरोसा नहीं हो रहा है, उनका कहना है नए कृषि कानून बनाने वालों को ही इस कमेटी में शामिल किया गया है. फिलहाल तो ऐसी कोई संभावना अभी भी नजर नहीं आती है कि सीमाओं से किसान हटना शुरू करें.
कोर्ट द्वारा गठित कमेटी की बात करें तो इसमें भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, कृषि अर्थशास्त्री व खाद्य निति विशेषज्ञ प्रमोद कुमार जोशी, शेतकारी संघटन अनिल घनवट और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी हैं. इस टीम को देखकर किसानों को कुछ बेहतर की उम्मीद नहीं है.
किसान आंदोलन को 50 दिन पूरे होने जा रहे हैं लेकिन असली कड़ाके की ठंड भी किसानों के जज्बे को तोड़ नहीं पाई. दूसरी तरफ किसान नेता राकेश टिकैत ने कोर्ट के फैसले के बाद चौंकाने वाला बयान जारी किया है. उनका कहना है सरकार अगर किसानों को जबरदस्ती हटाने का काम करती है तो 10 हजार लोग मारे जा सकते हैं.
देखा जाए तो कोर्ट ने मोदी सरकार पर नए कृषि कानूनों को लेकर खूब फटकार लगाई है, अगले आदेश जारी होने तक कानूनों पर रोक लगा दी गई है, ऐसे में किसानों पर प्रोटेस्ट रोकने का प्रेशर भी हो सकता है. कमेटी इसलिए गठित की गई है ताकि किसानों की दिक्कत को बारीकी से समझा परखा जाए, ऐसे में 26 जनवरी को होने वाली किसान परेड पर किसानों का फैसला रहता है देखना होगा, हालांकि राकेश टिकैत कहना है आने वाले गणतंत्र दिवस को किसा परेड होकर रहेगी.
