Balrampur Rape & Murder: उत्तर प्रदेश में बढ़ते रेप के मामलों ने योगी सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है, एक के बाद एक हैवानियत के मामलों ने बीजेपी सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की धज्जियां उड़ा दी हैं.
14 सितम्बर को हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र की घटना की पीड़िता को दम तोड़े 2 दिन नहीं हुए कि उत्तर प्रदेश में ठीक उसी तरह की घटना को अंजाम दिया गया है, ऐसे में लोगों का शक इस बात पर जा रहा है क्या यह किसी विशेष जाति-समुदाय के प्रति नफरत का तो नतीजा नहीं है.
जी हां 22 वर्षीय दलित छात्रा मंगलवार सुबह 10 बजे के करीब बिमला विक्रम कॉलेज में बीकॉम की पढ़ाई के लिए प्रवेश करने गई थी, वापसी में देर हुई तो बेटी को फोन लगाया गया लेकिन फोन नहीं लग पाया, रात के पौने आठ बजे बेटी पहुंच तो गई लेकिन उसकी हालत साफ बता रही थी कि उसके साथ कोई अमानवीय घटना हुई है.
पीड़िता की मां ने बताया कि एक रिक्शा वाला उसे घर छोड़ गया था. हाथ में विगो लगा था, पेट दर्द की शिकायत कर रही थी, स्थित देखकर लगने लगा कि वह किसी हॉस्पिटल से आई है. गंभीर हालत देखकर उसे तुरंत किसी निजी हॉस्पिटल में ले जाया गया लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. मां ने सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया है, बताया कि बेटी की कमर व पैर पर तोड़े गए हैं और अंत में जहर खिलाकर रिक्शे में छोड़ दिया गया है.
वहीं पुलिस का कहना है पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल पाएगा आखिर छात्रा के साथ क्या हुआ था. बहरहाल इतना तो तय है कि योगी राज में बेटियों पर हैवानों की बेहद गंदी नजर है, इसे रोकना है तो योगी को कड़े एक्शन लेने होंगे.
A 22-yr-old woman who was allegedly gang-raped in Balrampur died y'day.
Police say, "She returned home from work y'day on rickshaw with glucose drip inserted in her hand. Her family was taking her to hospital but she died on the way. Named accused arrested. Further probe on." pic.twitter.com/1Is4uxmpm1
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 30, 2020
एक के बाद एक रेप की वारदातों के बारे में सुनकर यकीन करना मुश्किल हो रहा है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 14 साल की नाबालिग व फतेहपुर के ललौली थाना क्षेत्र में 8 साल की मासूम का मामला सामने आया है.
हाल ही में NDTV की एक खबर से मालूम हुआ, प्रतिदिन 87 रेप के मामले दर्ज हो रहे हैं, न जाने कितने दबाए जाते होंगे. 2018 में 58.8 फीसदी मामले दर्ज हुए जबकि 2019 में 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ यह आंकड़ा 62.4 जा पहुंचा है.