26/11: इस तारीख को कभी नहीं भूला जा सकता है, देश के 166 मासूमों ने पाकिस्तान के 10 आतंकियों के हाथों अपनी जान गवा दी थी. दस में से एक आतंकी हाथ लगा था जिसका नाम था अजमल कसाब, मुंबई पुलिस ने उस आतंकी से कई राज उगलवाए थे.
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया, अपनी किताब लेट मी से इट नाऊ (Let Me Say It Now) में कसाब द्वारा किए गए खुलासों के बारे में जिक्र करते हैं और कहते हैं कि यह आतंकी हमला, हिन्दू आतंकवाद के नाम से किया जाना था जिसके लिए पाकिस्तानी आतंकी संघठन ने सभी 10 आतंकियों की फेक हिन्दू आईडी बनाई थी.
यहां तक कि अजमल आमिर कसाब (Ajmal Kasab) ने तो कलावा तक दोनों कलाईयों में बांधा था और उसके पास समीर दिनेश चौधरी नाम का आईडी प्रूफ था, इसपर घर का एड्रेस बेंगलुरु के नगरभावी इलाके के टीचर्स कॉलोनी का था. 21 साल की उम्र में जो बर्बरता इस शैतान ने दिखाई थी, उसपर किसी को इसके उम्र पर भी तरस नहीं आया था.
पूर्व कमिश्नर राकेश मारिया कसाब के बारे में कहते हैं ‘अगर अन्य साथियों की तरह वह भी मर गया होता तो वह एक हिन्दू आतंकी के नाम पर मरा होता क्योंकि उसके पास से समीर दिनेश चौधरी के नाम के फर्जी दस्तावेज़ मिले थे, साथ ही अन्य के पास से भी इसी तरह के कागज बरामद हुए थे, टीवी पत्रकार बेंगलुरु के उस पते पर जमा हो जाते और पड़ोसियों से इस बारे में सवाल कर रहे होते.
हालांकि शुरुवात में पाकिस्तान यह मानने को तैयार नहीं था कि वह उस मुल्क का है, बाद में वहीं की मीडिया ने खुलासा कर दिया कि वह फरीदकोट का रहने वाला है. हमले के 4 साल बाद 21 नवंबर 2012 की सुबह 7:30 बजे पुणे के यरवडा स्थित जेल में फांसी दी गई थी.
