Krishna Janmashtami 2021 Kab Hai, Date, time: श्री कृष्ण के भक्तों के लिए साल का सबसे बड़ा पर्व नजदीक आ रहा है, इस साल भगवान श्री कृष्ण का 5248वां जन्मोत्सव मनाया जायेगा, कोरोना गाइडलाइन्स की वजह से कुछ पाबंदियों का सामना करना पड़ सकता है लेकिन जगह-जगह नन्हे कान्हा के अवतार तो जरुर देखने को मिलेंगे.
श्रीकृष्ण (Shri Krishna) से उनके भक्त ही नहीं और लोग भी बहुत कुछ सीखते हैं, विषम परिस्थितियों को भी मुस्करा कर आसान बना देना और दुनिया के चारों कोनों में सिर्फ प्रेम की भाषा का संदेश देना, यही वजह है कि उनके अवतार की कल्पना करने मात्र से लोग उनकी भक्ति की ओर खींचे चले जाते हैं.
श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2021) को गोकुलाष्टमी (Gokulashtami) के नाम से भी जाना जाता है, अंग्रेजी कैलेंडर की बात करें तो यह तिथि अगस्त या सितम्बर माह में पड़ती है, इस साल अगस्त के आखिरी दिन ‘जय श्री कृष्णा’ की गूंज रहेगी.
कब है इस साल जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2021 Kab Hai)
हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व कई बार दो दिन मनाया जाता है, देश के कुछ लोग इस बार भी 30 अगस्त या फिर 31 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाते दिखेंगे, सरकारी छुट्टी का जिक्र हो तो 30 अगस्त को जन्माष्टमी का अवकाश (Krishna Janmashtami Holiday) रहेगा, जोकि सप्ताह का सोमवार का दिन है.
जन्माष्टमी 2021 शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ: 29 अगस्त 2021 रात 11 बजकर 25 मिनट
अष्टमी तिथि समापन: 31 अगस्त 2021 सुबह एक बजकर 59 मिनट
रोहणी नक्षत्र प्रारंभ: 30 अगस्त 2021 सुबह 6 बजकर 39 मिनट
रोहणी नक्षत्र समापन: 31 अगस्त सुबह 9 बजकर 44 मिनट
पूजा मुहूर्त: 30 अगस्त रात 11 बजकर 59 मिनट से सुबह 12 बजकर 44 मिनट तक
कैसे मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी
हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का पर्व धूम धाम से मनाया जाता है, श्री कृष्ण के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, व्रत रखने के पीछे कई वजह बताई जाती हैं. कुछ का मानना होता है इस दिन व्रत रखने व भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से कुंडली में चंद्र की स्थिति मजबूत होती है. श्री कृष्णा को झूला झुलाने का रिवाज भी है, इससे मनोकामना पूरी होती है.
इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण की बचपन की स्मृति को याद करते हुए नन्हे मुन्ने बच्चों को उनका रूप दिया जाता है, उनके हाथ में दही की हांडी पकड़ाई जाती है, यह बेहद मनमोहक नजारा होता है. श्री कृष्ण के युवा जोशीले भक्तों में हांडी फोड़ने का प्रतिस्प्रधा चलती है, यह थोड़ा जोखिम भरा होता है लेकिन भरपूर रोमांचक होता है.
यूं तो श्री कृष्ण के भक्तों के बीच सुबह स्नान के बाद ‘आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की’ से जन्माष्टमी की शुरूआत होती है, इस दिन बहुत से भक्त निर्जल व्रत भी रखते हैं. स्नान के बाद पारंपरिक कपड़े पहनने का रिवाज है, खासकर नए वस्त्र भी धारण किए जाते हैं. शाम के वक्त व्रत तोड़ा जाता है, भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है, मिठाई-माखन आदि इसमें शामिल हैं.
जन्माष्टमी पर होते हैं सांस्कृतिक प्रोग्राम
जन्माष्टमी का पर्व बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है, कृष्ण-सुदामा की दोस्ती के स्मरण में जगह-जगह नाटकीय प्रोग्राम होते हैं, कई जगहों पर राधा, कृष्ण व गोपियों की वेशभूषा में लोग तैयार होकर नृत्य करते हैं. श्री कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे, उनकी कथाएं भी होती हैं, अगले दिन दही हांडी प्रतियोगिता भी आयोजित कराई जाती है जिसमें बड़े बड़े धावक तक हिस्सा लेते हैं.