Uttarkashi: आज दिनांक 17 जुलाई को सावन शुरू होते ही शिवालयों में शिव भक्तों का तांता लग रहा है. सावन के पहले दिन काशी विश्वनाथ मंदिर और अन्य शिवालयों में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की अच्छी भीड़ देखने को मिल रही है.
इस मौके पर श्रद्धालुओं ने मंदिर में पूजा-अर्चना कर सभी की सुख, समृद्धि और शांति के लिए मन्नतें मांगी.भारत में यूं तो तीन काशी प्रसिद्ध हैं, एक काशी वाराणसी वाली प्रसिद्ध है तो बांकी दो काशी उत्तराखंड में हैं, पहला है उत्तरकाशी और दूसरा है गुप्तकाशी.
मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ यहां काशी विश्वनाथ के रूप में विराजमान हैं, उत्तरकाशी शहर मां भागीरथी (गंगा) के तट पर स्थित है. इस नगर के बीचों-बीच महादेव का भव्य मंदिर भी है.
ये मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है, मान्यता है कि उत्तरकाशी के काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शनों का फल वाराणसी के काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शनों के बराबर है.
काशी विश्वनाथ का ये मंदिर सालभर भक्तों के लिए खुला रहता है, गंगोत्री जाने से पहले बाबा विश्वनाथ के दर्शन जरूरी माने जाते हैं. उत्तरकाशी में विश्वनाथ मंदिर, कालेश्वर, विमलेश्वर,रुद्रेश्वर महादेव, शक्ति माता में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है.
सावन का महिना भगवान शिव को बहुत प्यारा माना जाता है, मान्यता है कि भगवान विष्णु के निद्रा अवस्था में चले जाने से शिवजी धरती पर आते हैं और इस महीने धरती की देखरेख करते हैं.
देवभूमि उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला यमुनोत्री और गंगोत्री के लिए भी बहुत माना जाता है. शेष दो धामों में से केदरनाथ, रुद्रप्रयाग जिले में जबकि बद्रीनाथ, चमोली जिले में पड़ता है.