Uttarakhand Board: कोरोना की दूसरी लहर इतनी घातक थी कि 12वीं बोर्ड परीक्षा भी रद्द करनी पड़ी जबकि 10वीं बोर्ड परीक्षा बहुत पहले रद्द की जा चुकी थी. कोरोना संकट के इस दौर में हर किसी के जहन में एक ही सवाल है आखिर किस तरह मूल्यांकन होगा.
राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय द्वारा इसका फार्मूला बता दिया गया है, अब देखना हो स्टूडेंट्स व उनके पेरेंट्स का इसपर क्या रिएक्शन होता है. उत्तराखंड के 2.71 लाख बोर्ड परीक्षार्थी अपने रिजल्ट का वेट कर रहे हैं, किसी के लिए यह दिलचस्प तो किसी के लिए डरावना अनुभव होने जा रहा है.
अधिकतर स्टूडेंट्स में बोर्ड परीक्षा को लेकर एक अलग मेंटल लेवल सेट होता है, बोर्ड परीक्षा का प्रेशर व इसके प्रति स्टूडेंट्स की मेहनत को किसी अन्य कक्षा या किसी अन्य परीक्षा के साथ कंपेयर नहीं किया जा सकता है लेकिन जब परीक्षा कराना ही संभव नहीं है तो रास्ता कोई न कोई तो निकालना ही पड़ेगा.
पिछली कक्षाओं में प्राप्त मार्क्स के आधार पर इस साल बोर्ड परीक्षा का मूल्यांकन होने जा रहा है, जैसे कि इंटरनल परीक्षा पर भी कोरोना का असर देखने को मिला तो जाहिर सी बात है सिर्फ आंतरिक परीक्षा भी मूल्यांकन का कोई रास्ता नहीं है.
ये मार्क्स का साधारण फार्मूला
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने तय किए गए अंक निर्धारण के फॉर्मुले को तय बताया है. शिक्षा महानिदेशक विनय शंकर पांडेय की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति ने इस पर गहन चर्चा की, पहली बैठक में तय हुआ कि 12वीं बोर्ड के परीक्षार्थियों के लिए 10वीं के 30 फीसदी, 11वीं के 30 फीसदी व 12वीं इंटरनल व प्रायोगिक के 40 फीसदी अंक आधार बनेंगे.
असंतुष्ट छात्र-छात्राओं को मिलेगा परीक्षा का मौका
इसी तरह 10वीं के लिए भी प्रीवियस कक्षाओं का प्राप्तांक मायने रखेगा, हां जो स्टूडेंट्स इस तरह के मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं रहते हैं उन्हें दोबारा परीक्षा का मौका दिया जाएगा.